Short Story: ईमानदारी का इनाम

Short Story: एक गाव मे बाबूलाल नाम का पेंटर रहता था वो बहुत ईमानदार था किंतु बहोत ग़रीब होने के कारण वह घर घर जाकर पैंट का काम किया करता था. उसकी आमदनी बहुत कम थी पूरा दिन काम करने के बाद भी बस दो वक्त की रोटी ही जुटा पता था. वह हमेशा चाहता था की उसे कोई बड़ा काम मिले. जिससे उसकी आमदनी अच्छी हो. पर वह छोटे छोटे काम भी बड़े लगन और ईमानदारी से करता था.

एक दिन उसे गाओं के ज़मीदार ने बुलाया और उसे कहा सुनो बाबूलाल मेरे पास तुम्हारे लिए काम है. मे चाहता हू तुम मेरे लिए मेरी नाव पैंट करो और यह काम आज ही हो जाना चाहिए बाबूलाल बोला काम आज ही पूरा हो जाएगा. नाव पैंट करने का काम पाकर बाबूलाल बहोत खुश हुआ. ज़मीदार ने पूछा तुम इस कम के पैसे कितने लोगो तो बाबूलाल ने कहा वैसे तो इस काम के 2000 होते पर आपको जो सही लगे वो दे दीजिए. ज़मीदार बोला ठीक है तुम्हे 2000 मिल जाएगे पर काम अच्छा होना चाहिए. Short Story

ज़मीदार उसे अपनी नाव दिखाने नदी किनारे ले जाता है. नाव देखने के बाद बाबूलाल ज़मीदार से थोड़ा समय माँगता है और अपना समान लाने चला जाता है. समान लेकर जैसे ही बाबूलाल आता है तो वह नाव को रंगना शुरू कर देता है. जब बाबूलाल नाव रंग रहा था तो उसने देखा की नाव मे तो छेद है. अगर इसे ऐसे ही रंग दूगा तो यह डूब जाएगी. पहले इस छेद को ही भर देता हू ऐसा कहकर वह नाव का छेद भर देता है और नाव को रंग देता है. Short Story

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फिर वह ज़मीदार के पास जाता है और कहता है हुजूर आपके नाव का काम पूरा हुआ चलिए देखने के लिए और वो दोनो नाव देखने जाते है. नाव को देखकर ज़मीदार बहोत खुश होता है और बोलता है बाबूलाल काम तो तुमने बहुत ही बढ़िया किया है कल आकर अपने काम का मुआवज़ा लेकर जाओ. बाबूलाल हा बोल कर घर जाता है. Short Story

ज़मीदार के घरवाले अगले दिन नदी के उस पर घूमने जाते है. शाम को ज़मीदार का नौकर जो छुट्टी पर था वो वापस आता है. नाव की देखरेख भी  वही करता था. परिवार को घर पर ना देखकर ज़मीदार को परिवार के बारे मे पूछता है. Short Story ज़मीदार उसे सारी बात बता देता है. ज़मीदार की बात सुनकर रामू चिंता मे पड़ जाता है उसे चिंतित देख कर ज़मीदार पूछता है क्या हुआ रामू तुम इतनी चिंता मै क्यू हो तो रामू बताता है की नाव मे तो छेद था. रामू की बात सुनकर ज़मीदार भी चिंतित हो जाता है. तभी उसके परिवार वाले पूरा दिन मौज मस्ती करके घर लौटते है. उन्हे सकुशल देखकर ज़मीदार चैन की साँस लेता है. Short Story

फिर अगले दिन ज़मीदार बाबूलाल को बुलवता है और कहता है ये लो बाबूलाल तुम्हारा मुआवज़ा. बाबूलाल पैसे गिनता है तो उसमे ज़्यादा पैसे देखकर चौक जाता है और ज़मीदार से कहता है इसमे तो 6000 है और मेरा मुआवज़ा तो 2000 ही है. ज़मीदार बोलता है ये तुम्हारे ही पैसे है बाबूलाल तुमने बहुत बड़ा काम किया है. तो बाबूलाल पूछता है कैसा काम हुजूर, ज़मीदार बोलता है तुमने इस नाव के छेद को भर दिया जिसके बारे मे मुझे पता भी नही था, अगर तुम चाहते तो तुम उसे ऐसे भी छोड़ सकते थे या फिर उसके लिए अधिक पैसे भी माँग सकते थे पर तुमने ऐसा बिल्कुल नही किया जिसकी वजह से मेरे परिवार वाले सुरक्षित उस नाव की सवारी कर सके अगर तुम उस छेड़ को ना भरते तो मेरे परिवार वाले डूब भी सकते थे. आज तुम्हारी वजह से वो ठीक है. इसलिए ये पैसे तुम्हारी मेहनत और ईमानदारी के है. ये पैसे तुम्हारे ही है इनको तुम रख लो. ज़मीदार की यह बात सुनकर और पैसे लेकर बाबूलाल बहोत खुश होता है. (Read More: 3 Best Moral Hindi Short Stories)

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