पशुः का अथाह प्रेम ,भूल का दरिया 2 Best Stories In Hindi
पशुः का अथाह प्रेम
Best Stories In Hindi: एक बार जापान के कृषि वैज्ञानिक और प्रोफेसर युनो को मेट्रो स्टेशन पर ठंड से काँपता कुत्ता दिखा, वो उसे घर ले आये और उसे पालना शुरू कर दिया। उसका नाम हचिको रखा गया। युनो टोक्यो यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थे, हचिको रोज सुबह उन्हें मेट्रो स्टेशन छोड़ने जाता था और शाम तक स्टेशन के बाहर उनका इंतजार करता, फिर शाम को प्रोफेसर के साथ ही घर लौटता था। यह घटनाक्रम कुछ महीनों तक रोज चला और हचिको को मेट्रो के छोटे से बड़े कर्मचारी तक जानने लग गए।
एक बार प्रोफेसर को यूनिवर्सिटी में ही अटैक आया और उनकी मौत हो गयी। हचिको अगले दिन तक उनका इंतजार करता रहा, उस दिन मेट्रो का एक गार्ड हचिको को उसके घर तक छोड़कर आया। मगर हचिको रोज मेट्रो स्टेशन आता अपने प्रोफेसर को लेने जो कि अब कभी नही लौटने वाले थे। यह क्रम कुछ दिनों का नही था बल्कि 10 वर्षो का था। 10 साल तक हचिको रोज प्रोफेसर के लिए आता रहा और सूरज ढलते ही रोना शुरू कर देता। Best Stories In Hindi
आसपास के लोग भी उसे दूर से देखकर अपने आँसू नही रोक पाते थे, कुछ लोगो ने प्रोफेसर का मास्क लगाकर उसे बहलाने की कोशिश भी की। मगर 10 वर्ष बाद भी वो मूक पशु अपने मालिक को एकदम अच्छे से जानता था। उसे तरह तरह से समझाया गया मगर एक पशु को मृत्यु की परिभाषा कैसे समझाई जा सकती थी। आखिरकार मानसिक तनाव, बीमारी और थकान ने हचिको के शरीर मे इंफेक्शन पैदा कर दिए, प्रोफेसर के ना आने के दुख में उसने बिस्किट खाने भी बंद कर दिए बाद में उसे कैंसर हो गया जिससे उसकी मृत्यु हो गयी मगर मरते वक्त भी वो एक नज़र से स्टेशन का गेट ही देख रहा था शायद प्रोफेसर आ जाए और उसका इंतजार खत्म करे।
उसकी मृत्यु पर पूरे टोक्यो ने शोक मनाया था, प्रोफेसर के परिवार से लेकर मेट्रो का बड़े से बड़ा अफसर उसे श्रद्धाजंलि देने आया। उसकी याद में जापानी सरकार ने उस मेट्रो स्टेशन के बाहर प्रोफेसर और हचिको की मूर्ति बनवाई। अथाह प्रेम, अमिट विश्वास और स्वामिभक्ति की गवाह बनी इस जगह को अब हचिको स्क्वेयर कहा जाता है। Best Stories In Hindi
भूल का दरिया Best Stories In Hindi
एक मछुआरे ने अपना जाल उठाया और नदी की ओर चल पड़ा। नदी पहुंचकर उसने देखा कि अभी दिन पूरी तरह से नहीं निकला है तो वह नदी के किनारे-किनारे टहलने लगा। टहलते-टहलते अचानक उसके पैरों से कोई सख्त सी चीज टकराई। उसने झुककर वह चीज उठाई तो पाया कि नन्हे-नन्हे पत्थरों से भरी हुई एक छोटी-सी थैली है। सूरज निकलने में अभी भी कुछ देर थी इसलिए मछुआरे ने जाल एक तरफ रख दिया और समय गुजारने के लिए उन छोटे-छोटे पत्थरों से खेलने लगा। फिर वह एक के बाद एक उन पत्थरों को नदी में फेंकने लगा। ऐसा करते-करते आखिर में अब मछुआरे के हाथ में अंतिम पत्थर बचा था। इसे भी वह फेंकने जा रहा था लेकिन तभी सूरज निकल आया। सूरज की रोशनी में उसने देखा कि उसके हाथ में पत्थर नहीं बल्कि एक बहुमूल्य हीरा था। Best Stories In Hindi
मछुआरे को अपनी नादानी पर बहुत अफसोस हुआ कि वह बेशकीमती हीरों को यूं ही फेंकता रहा। लेकिन अब “पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत ।” हमारे साथ भी अक्सर ऐसा ही होता है। हम मछुआरे की तरह ही हीरे जैसी कीमती चीजों को अपनी अज्ञानता के कारण नष्ट करते रहते हैं अथवा उनका सदुपयोग नहीं करते। ऐसी बहुत सी चीजें और कार्य होते हैं। समय भी उनमें से एक है और सबसे महत्त्वपूर्ण भी है। शुरू में हम उसकी कीमत नहीं समझते और जिस दिन कीमत समझ में आती है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। सबसे बड़ी बात यह है कि हमारा जीवन अथवा जीवन में मिला हुआ समय हीरे से भी कीमती है। हीरे की तरह कीमती और दुर्लभ समय सिर्फ गुजार दिया जाए, यह किसी भी तरह से उचित अथवा सार्थक नहीं। देर आऐ, दुरुस्त आऐ। अभी भी समय रूपी जो हीरे बचे हुए हैं, अंधेरे का बहाना बनाकर उस मछुआरे की तरह उन्हें नष्ट मत कीजिए। जागरूक होकर कम से कम उन्हें तो संभाल लीजिये |
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