Best Mohabbat Shayari In Hindi || Love Shayari
Love Shayari: हमारी उम्र ही नही थी इश्क़ करने की
पर आपको देखा और हम जवा हो गए!!! जरूरी नहीं इश्क़ में
बांहो के सहारे ही मिले
किसी को जी भर के महसूस
करना भी इश्क़ है।।
कहाँ पूरी होती है दिल की सारी ख्वाहिशें…
कि फागुन भी हो,यार भी हो,और साथ भी हो….
ज़िंन्दगी टकरा गयी उसी शख़्स से…
जो शायद हाथ की लकीरों में नहीं है…!!
नही आता तेरी मोहब्बत को छिपाना मुझे .
तेरी खुशबू मेरी हर शायरी मे बसा करती है .
तू बन जा गली बनारस की
मैं शाम तलक ठहरू तुझमे।।
रूह का रूह से ऐसा वास्ता हो जाता है,
आंखे कह देती हैं और दिल समझ जाता है ॥
!! यूँ तो मिल ही जाएगी मोहब्बत मेरे बाद भी तुम्हें !!
!! पर चाँद और चिराग़ में कुछ तो फ़र्क़ होता है.!!
कोशिश ये नहीं,,,,
कि मैं संभल जाऊं,,,,
ख्वाहिश ये है,,,,
कि तुम भी बहक जाओ,,,,❤️ Love Shayari
तेरे दिल में ठिकाना मिले जो उम्रभर,
फिर किसी आशियाने की परवाह नहीं मुझे.
फिर रास नहीं आती खुश्बू जिस्म की, रूह महसूस कर लेती जब खुश्बू इश्क़ की!
लफ्ज़ करेंगे इशारा जाने का……!!!
तुम आँखें पढ़ना और रुक जाना….
शिक़वा नहीं हैं तुमसे शिक़ायत हैं मुझें तक़दीर से,,,,,,
चाहत हो तुम बस मेरी, पर हो तुम क़िसी और के नसीब में,,,,,,
तेरी खामोशी में ढूँढ लेता हूँ मुहब्बत…..
दिल जिद्द नही करता अब लफ्जों
की…!!! Love Shayari
ख्वाहिशों की हद तो , नही होती कभी ख़तम..!
अब मेरी ही देखो,तुम तुम और बस तुम…!!
तुम्हे देखने से जो मिलता है,
सारा मसला उस सुकून का है।।
जरा जरा सी बात पे, तकरार करते हो💞
लगता है मुझसे, बेइंतहा प्यार करते हो।
इश्क के ख्यालों का हंसीं मँज़र हो तुम,
डूबता हूँ जिसमें, वो समंदर हो तुम…!!
शब्द दर शब्द तुमको लिख रहा हूँ
तेरे बहाने से ही अब खुद को पढ़ रहा हूँ !
जन्नत से जमी तक… देखा बहुत
दिखे तो बहुत… मगर तुम सा नही…!!
मेरी साँसें तेरी खुशबू!!❤️ Love Shayari
तुझी से मैं करू तेरी फरमहिशे!!❤️
“लिख देने से नहीं. . .
तुम्हारे पढ़ने से मुकम्मल हैं
लफ्ज़ मेरे”
बेशक मुझे एहसास है कि तू मेरी मंजिल नहीं ,
मगर फिर भी ताउम्र तुझसे होकर गुजरने की चाहत है……
रोमांटिक बने रहिये,
उम्र का बोझ अपने आप
कम हो जाएगा..!!
तुझसे वाजिब है मोहब्बत का ताल्लुक रखना..!
ऐसी दिलचस्प इबादत को खुद से जुदा कौन करे..!!
जितने एहसास हैं मेरे अंदर तुम्हारे लिए,,,
उतने तो शब्द भी नही होते किताबों में…l
सबके सामने उसका
मेरा हाथ पकडना
सबूत काफ़ी है,
की इश्क था। Love Shayari
जब जब मिले, उसने
कस कर गल लगया
सबूत काफ़ी है,
की इश्क था।
जब तक घर न आऊँ
उसका इंतेजार करना
सबूत काफ़ी है,
की इश्क था।
उस्का मुझे देखना
और देखते ही रह जाना
सबूत काफ़ी है,
की इश्क था। Love Shayari
मेरा ज्यादा पीना
और उसका नाराज होना
सबूत काफ़ी है,
की इश्क था।
हज़ार वजह थीं मुझे
छोडने की उसके पास
पर नहीं हारना
सबूत काफ़ी है,
की इश्क था।
अलग होने की बाद
उसका रोज छुप छुप
के रोना
सबूत काफ़ी है,
की इश्क था।
पेहली बर मेरी मां से
बात करते हुए घबराना
सबूत काफ़ी है,
की इश्क था।
कोइ नाम ले मेरा
और उसका शर्माना
सबूत काफ़ी है,
की इश्क था।
चाहे कितना भी मशरूफ हम रह लें…!!
शाम के एक पहलू में तुम याद आते हो जरूर…!!
वो मोहब्बत सच्ची नहीं जिसमें आप कभी block नहीं हुए।।।
मैं इस कदर तुझमें खो गया हूं,
खुद से पहले तेरा हो गया हूं।।
जब भी हम खुद को ‘ लिखते हैं,
तुमको भी अपने संग लिखते हैं।।☺️
जमाने ने
अपने हिसाब से
पढ़ा होगा…!!
💕💕
पर
मैने
लिखा तो बस तुम्हें ही है….!!
मन मंदिर में तुम्हे ही अब मैं बसाऊँ
तुम्हारे बिना एक पल ना कहीं चैन पाऊं..!! इन आँखों में बस तेरा ख्वाब सजाऊँ
बिन तेरे एक पल ना अब मैं चैन पाऊँ..!! बिन तेरे भीड़ में भी खुद को तन्हा पाऊँ
कुछ इस तरह से अब मै तुम्हारा हो जाऊँ..!!
तुम्हारे आगोश में मेरे सुकून को पनाह मिलती है💞
मैं नही तुम्हारी मोहब्बत मेरी धड़कनों में खिलती है💞
फिर कोई जुदा नहीं कर पायेगा हमें…
अगली बार आऊँगा, तेरे
हाथो की लकीरो में अपना
नाम लिखवा कर ….💕💕
” उनकी चाहत में हम कुछ यूँ बँधे है….
वो साथ भी नही और हम अकेले भी नही…!!
“मदहोश” करती हैं….
“आपकी बाते “,,,,,,,,
गर कहतें हैं “नशा” इसको…
तो “तलब” मंजूर हैं हमें।
जब तुम राधा होना चुनती हो
तो प्रेम चुनती हो। किंतु जब तुम मीरा होना चुनती हो
तो प्रेम तुम्हें चुनता है। Love Shayari
😍😍😍
कौन लिखता है वाह वाह पाने की चाहत में
यहाँ तो सुकून बरसता है
जब कोई अहसासों को पढ़ता है l
तेरे अश्कों को अपनी पलकों पर सजाकर,,,,
अपनी मुस्कुराहट तुम्हे,,,,,,,नज़र करते हैं।
तुम मेरे हो,,,,,,,,तुम मेरे ही रहोगे सदा,,,,,
आजकल इन्ही बातों से,,,हम,,,,,सबर करते हैं।
“इजहार ऐ इश्क” महफिल में…”आँखों” से बयाँ हो रहा था.!
कैसें बचातें “दिल” को…जब “कातिल” से ही इश्क हो रहा था..!
कभी खामोशी से सुनो तो सुन पाओगे हमें भी,,,,,,
मेरी चुप में भी तुम्हारें लिए बहुत चाहत है,,,
तब समझना कि मुझे इश्क नहीं है तुझसे….
तेरे मिलने से अगर तेरी कमी कम हो जाए..!
कभी “बैठा” कर सामने…”पूछेंगे”…तेरी “आँखों” से…..
किसने “सिखाया” है…”तुम्हे”…”दिल” में उतर जाना…..
दर्द हो तो ‘दवा’ कीजै,
इश्क़ हो तो ‘क्या’ कीजै…??
गुजरती रहती है लम्हे दर लम्हे ज़िन्दगी यूं तो..
तुम्हारा ज़िक्र कर के वक़्त को थामा है कई बार!
तुम्हारे बगैर जीना मुश्किल दिखाई देता है
तुम्हारे साथ मुझे मुस्तकबिल दिखाई देता है !
तुमसे इक पल अलग होके डूबने लगता हूँ
मगर थाम लूँ हाथ तो साहिल दिखाई देता है !
लाऊं मैं कहा से जुदाई का हौसला ,
क्यूँ इस कदर मेरे करीब आ गए हो तुम ।
वो नजर कहां से लाऊ जो तुम्हें भुला दे
वो दवा कहां से लाऊ जो इस दर्द को मिटा दे…
मिलना तो तकदीर में लिखा होता हैं
पर वो तकदीर कहां से लाऊ जो हमें मिला दे…
उफ़्फ़्फ .. आग़ोश में आने का नशा उनसे पूछिए,
जिसे महबूब के बाहों की तलब लगी हो ..!!!
ख्वाहिशें तभी मुकम्मल होंगी,
जब तलब भी शिद्दत से भरी होगी.. !!!
हर पल में एक नये पल की आस थी!
ज़िन्दगी वही थी मुक्म्मल,
जो तेरे साथ जी!!
बड़ी कश्मोकश है इन दिनों ज़िन्दगी में….
किसी को ढूंढते फिर रहे हैं हर किसी में….
ऐ ख़ुदा !!!
उनका ख्याल रखना……
जिनका ख्याल…………
मेरे दिल से जाता नहीं………..
कुछ रिश्तों के नाम नही होते, पर होते इतने अनमोल हैं कि
आजीवन इन्हे मन की तिजोरी में सहेजने का मन करता है…!
बातें किसी और से,
ख्याल किसी और का😊
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